मेहनत करने वालो और संघर्षो से डरकर पीछे न हटने वालो को एक दिन सफलता जरूर मिलती है। यशस्वी जयस्वाल इसका बहुत बड़ा उदहारण है जिनके संघर्ष और मेहनत ने उन्हें इंडिया अंडर-19 टीम में जगह दिला दी।
उत्तर प्रदेश के भदोही शहर के रहने वाले
यशस्वी जयस्वाल उत्तर प्रदेश के भदोही शहर के रहने वाले हैं। जहाँ पर वे शॉपकीपर का काम किया करते थे और इसी से उनका घर चलता था। क्रिकेट के सपनों को पूरा करने के लिए उनके पिता ने उन्हें मुंबई भेज दिया। जहाँ वो कलबादेवी के पास डेरी में सोया करते थे।
डेरी से निकले जाने के बाद टेंट में रहना पड़ा
लेकिन मुंबई आने के बाद उनकी जिंदगी संघर्षो से भर गई। यशस्वी ने बताया कि वे डेरी में रहा करते थे लेकिन एक दिन उन्हें डेरी से निकाल दिया गया और और उनका सामान बाहर फेक दिया जिसकी वजह से उन्हें टेंट में रहना पड़ा। ”जिसके बाद यशस्वी टेंट में तीन साल तक रहा।डेरी से निकले जाने का कारण ये था कि दिन भर क्रिकेट खेलने के बाद उन्हें नींद की काफी जरुरत होती थी जिस वजह से वे डेरी वालो की बिलकुल मदद नहीं कर पाते थे।
पैसे कमाने के लिए पानी पूरी और फल भी बेचे
यशस्वी जयस्वाल ने बताया वो डरकर और हार मानकर भदोही वापस नहीं जाना चाहता थे।उनके पिता समय-समय पर कुछ पैसे भेजा करते थे। यशस्वी ज्यादा पैसे कमाने के लिए आजाद मैदान में राम लीला के दौरान पानी पुरी और फल भी बेचा करता था।
परिवार को याद करके अकेले रोया करते थे
यशस्वी ने कहा- ‘राम लीला के दौरान वे काफी पैसे कमा लेते थे , लेकिन वे नहीं चाहते थे कि उनके टीम मेट्स कभी पानी पुरी खाने उनके यहां आएं, और कभी आते भी थे तो मेरा मन करता था कि उन्हें अच्छे से सर्व न करूं.’ यही नहीं, यशस्वी को कई बार भूखे पेट भी सोना पड़ता था। बता दें, कि वहां कोई टॉयलेट भी नहीं था इसलिए वो टॉयलेट करने के लिए फैशन स्ट्रीट में जाते थे ,क्योंकि रात को वो बंद हो जाता है। लाइट न होने की वजह से ”हर रात में मोमबत्ती के बीच खाना खाना पड़ता था मुझे मेरे परिवार की बहुत याद आती थी. मैं अकेला खूब रोता था.”
सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर के साथ शेयर करेंगे ड्रेसिंग रूम
यशस्वी मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज हैं. उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाब तब आया जब वो लोकल कोच ज्वाला सिंह से मिले और उन्होंने अंडर क्रिकेट खेलना शुरू किया। अब यशस्वी इंडिया अंडर-19 टीम में शामिल हो गए है। अब वो कादमवाड़ी की चॉल में रहते हैं और सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करेंगे। मुंबई अंडर-19 के कोच सतीष समंत ने बताया – ”वो गेंदबाजों के दिमाग को पढ़कर शॉट्स खेलता है। अंडर-19 में उसने बहुत जल्दी जगह बना ली। वो ऐसे शॉट्स खेलता है जो कोई नहीं खेल सकता। उसके पास कुछ नहीं है ,न स्मार्टफोन न वाट्सऐप। जबकी दूसरे बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। आने वाले समय में वो मुंबई का बड़ा प्लेयर साबित होगा.”
यशस्वी कहते हैं- आप क्रिकेट में मेंटल प्रेशर की बात करते हैं? मैं रोज अपनी लाइफ में प्रेशर झेलता हूं. जिसने मुझे सख्त बना दिया है। मुझे पता है कि मैं रन बना सकता हूं और विकेट भी ले सकता हूं। शुरुआत में काफी बेशर्म था। मैं जब टीम मेट्स के साथ लंच पर जाया करता था तो उस वक्त मेरी जेब में पैसे नहीं रहते थे। मैं उनसे कहता था- ”मेरे पास पैसा नहीं और भूख है.”
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