सत्ता बचाने के लिए नेता क्या क्या नहीं करते , कर्नाटक के लोक निर्माण विभाग मंत्री एचडी रेवन्ना ने एक और उदहारण पेश किया है , जो अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर दिन 340 किलोमीटर का सफर करते है।
दरअसल रेवन्ना बदकिस्मती से डरते हैं और अपने जीवन में हर छोटे बड़े काम के लिए ज्योतिष का सहारा लेते हैं। यही वजह है कि कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद भी रेवन्ना हर दिन छह से सात घंटे सिर्फ यात्रा पर खर्च कर देते है। एचडी रेवन्ना का घर होलेनेरासिपुरा में स्थित है और हर शाम को वे बेंगलुरु से अपने घर के लिए निकलते हैं, जिसकी दूरी 170 किलोमीटर है। एक तरफ की दुरी तय करने में उन्हें तीन घण्टे का वक्त लगता है, और लगभग इतना ही समय सुबह वापस बेंगलुरु पहुंचने में लगता है। इतने बड़े और महत्वपूर्ण पद पर होने के बाद भी रेवन्ना अपना छः से सात घण्टे का समय सिर्फ यात्रा में ही लगा देते है।
इसमें ज्योतिषी फैक्ट ये है कि रेवन्ना को बेंगलुरु में न रुकने की सलाह दी गई है। जेडीएस नेता ने कहा कि ‘अगर रेवन्ना बेंगलुरु में रुक गए तो सरकार गिर सकती है’ यहीं वजह है कि धार्मिक रुप से वह इस चीज़ का पालन कर रहे हैं। वैसे भी ज्योतिष में विश्वास करना या न करना व्यक्ति पर निर्भर करता है.
इससे पहले जब 6 जून को एचडी रेवन्ना ने 2.12 मिनट पर शपथ ली थी। विधानसभा के सबसे सीनियर विधायक आरवी देशपांडे को उनसे पहले शपथ लेनी थी, लेकिन उन्होंने नियम तोड़कर पहले शपथ ली।
मंत्री एचडी रेवन्ना की ज्योतिष में कितनी आस्था है इसका एक उदाहरण तब भी देखने को मिला, जब हस्सन जिला में एक कार्यक्रम के दौरान वह एक पुजारी पर भड़क गए थे उन्होंने चिल्लाते हुए कहा था कि इस पुजारी को किसने बुलाया? इसे कुछ नहीं आता है। उसके बाद उन्होंने जिला प्रशासन को भविष्य में अच्छे पुजारी की व्यवस्था करने का आदेश दिया था।
एक बार जब विधानसभा के सत्र के दौरान रेवन्ना ने अपनी सीट बदल दी थी, लेकिन जब बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री इस्वरप्पा ने उनका मजाक उड़ाया तो वह फिर से अपनी सीट पर चले गए।
सिद्धारमैया सरकार ने अंध-विश्वास विरोधी विधेयक पारित किया था। विधानसभा में लंबी बहस और कई विरोधों के बाद इस विधायक को पारित कराया जा सका। रेवन्ना जैसे नेता ही थे जिनकी वजह से विधेयक को पास होने में लंबा वक्त लगा था, हालांकि बिल में वास्तु और ज्योतिष को बैन नहीं किया गया है.
सिद्धारमैया टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले ज्योतिष कार्यक्रमों पर भी रोक लगाना चाहते थे, लेकिन जब उनकी पार्टी के ही कई नेता उनके खिलाफ खड़े हो गए तो वे ऐसा नहीं कर पाए।
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