बहुत से लोग नहीं जानते कि नवरात्रि का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। अश्विन नवरात्रि जो सर्दियों की शुरूआत से शुरू होती है (सितंबर और अक्टूबर के बीच) जो अधिक लोकप्रिय नवरात्रि है। वही गर्मी के दौरान मार्च और अप्रैल के बीच चैत्र नवरात्रि भी मनाई जाती है। दोनों ही नवरात्रि नौ दिनों के लिए मनाई जाती है। भारत के अलग अलग हिस्सों में इन्हे अलग अलग नाम से बुलाया जाता है जैसे देवी दुर्गा , देवी सरस्वती, देवी काली , प्रकर्ति देवी लेकिन हिन्दू पुराण के अनुसार ये सभी माँ शक्ति का ही रूप है।
कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं जिस वजह से नवरात्रि का त्यौहार हर साल नौ दिन और दो बार मनाया जाता है। इनमें आध्यात्मिक, प्राकृतिक और पौराणिक कारण शामिल हैं।
मौसम में परिवर्तन
यदि आप ध्यान से ध्यान दे, तो नवरात्रि हर साल दोनों बार मौसमी परिवर्तनों के समय मनाए जाती हैं। गर्मी की शुरुवात से पहले और सर्दियों की शुरुआत से ठीक पहले, प्रकर्ति देवी जो इस प्राकर्तिक बदलाब में मुख्य योगदान देती है. को प्रसन्न करने के लिए देवी शक्ति की पूजा की जाती है , जो प्रकृति का ही अवतार है।
दिन और रात की लंबाई
वैज्ञानिक रूप से मार्च और अप्रैल एवं सितंबर और अक्टूबर के बीच, दिन और रात की लंबाई के बराबर होती है। यह एक वैज्ञानिक प्रमाण है कि ये दोनों ही समय गर्मी से सर्दी और सर्दी से गर्मी में बदलाब का समय होता है और नवरात्री के ये नौ दिनो का अंतराल में मौसम में परिवर्तन का संयोग बनता है।
खुशनुमा मौसम
नवरात्रि दोनों बार ऐसे समय में मनाई जाती हैं जब मौसम सुखद होता है। नवरात्रि के दौरान न ही गर्मी की तेज धुपका सामना करना पड़ता है और न ही सर्दियों का ठंड हवाओ का। इसलिए साल के ये दो समय नौ दिनों का फेस्टिवल सेलिब्रेट करने लिए सबसे उपर्युक्त होते है।
भगवान राम का उपवास और देवी की पूजा
अगर हिंदू पौराणिक कथाओं की माने , तो नवरात्रि केवल सितम्बर से अक्टूबर के बीच ही मनाया जाता है। जब भगवान माता सीता को बचाने के लिए लंका की और युद्ध करने के लिए बढ़ रहे थे, तो वह मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए 6 महीने का इंतजार नहीं करना चाहते थे। उन्होंने लंका की और बढ़ने से पहले दुर्गा पूजा और 9 दिनों तक उपवास रखा और विजयी रूप से लौट आए। इस तरह उन्होंने सर्दियों से पहले नवरात्रि का जश्न मनाने की परंपरा शुरू की। नवरात्रि का महत्व दोनों ही समय में एक जैसा रहता है क्योकि दोनों बार का समय और प्राकर्तिक परिवर्तन इस बात का सूचक है।