मनुष्य के जीवन काल में कुछ स्थाई हो न हो लेकिन उसका ज्ञान, बुद्धि, विद्या और कला हमेशा उसके साथ मरते दम तक रहती है। ज्ञान, बुद्धि, विद्या और कला असल मायने में माँ सरस्वती का वरदान है। इनकी कृपा जिस मनुष्य पर पड़ जाए उसके जीवन का उद्धार हो जाता है। धन खर्च करने से कम होता है लेकिन बुद्धि, विद्या और कला बांटने से बढ़ती है। हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। बसंत पंचमी का यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन और माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है। किसान इस त्यौहार का विशेष रूप से इंतज़ार करते हैं। बसंत पंचमी से सरसों के खेत सोने के समान दिखने लगते हैं। बसंत ऋतु के आगमन से चना, जौ, ज्वार और गेहूं की बालियाँ खिलने लगती हैं।
क्या है बसंत ऋतु ?
बसंत ऋतु साल के छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जिसका आगमन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है बसंत ऋतु का इंतज़ार ज़्यादातर हर किसान को ही होता है। बसंत ऋतु आते ही पेड़ों में नई पत्तियाँ, टेहनियां और खेतों में फूल खिल उठते हैं। आम के पेड़ों में बौर और सरसों के खेत में पीले पीले सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। बसंत ऋतु के आगमन से कड़ाके की सर्दी से आराम मिलता है, वहीं हलकी गुलाबी ठंड मौसम को खुशनुमा और रंगीन बना देती है।
क्यों की जाती है माँ सरस्वती की आराधना ?
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।
बसंत पंचमी को विद्यादायिनी माँ सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है| माँ सरस्वती को ज्ञान, कला, बुद्धि और विद्या की देवी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति बसंत पंचमी के दिन सच्चे मन से माँ सरस्वती की आराधना करते हैं, उन पर माँ सरस्वती की कृपा अवश्य होती है। इस दिन कला, लेखन से जुड़े लोग और विद्यार्थी खास तौर पर माँ सरस्वती की उपासना करते हैं। वैसे तो माँ सरस्वती के मंदिर लग-भग पूरे भारत में ही हैं लेकिन मध्य प्रदेश में मैहर का शारदा देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर 600 फ़ीट की उँचाई वाली चित्रकुटा पहाड़ी पर स्थित है।
क्या है पीले रंग का महत्व ?
बसंत ऋतु आते ही पेड़ पौधों पर नए फूल, पत्ते उगने लगते हैं। सरसो के खेत में सरसों के फूल खिल उठते हैं, जैसे मानो की पूरी ज़मीन ने पीले रंग की चादर ओढ़ ली हो। सही मायने में बसंत का मतलब ही पीला रंग या बसंती रंग होता है। इस दिन माँ सरस्वती की आराधना करते हुए उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल अर्पण किए जाते हैं। मुख्य रूप से माँ सरस्वती के वस्त्र का रंग भी पीला होता है, इसलिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग को इतना महत्व दिया जाता है। लोग इस दिन पीले कपड़े पहन्ना पसंद करते हैं और स्वादिष्ट भोजन का भी लुत्फ़ उठाते हैं। इस दिन पीले रंग के स्वादिष्ट व्यंजन जैसे खिचड़ी, राज भोग, बूंदी के लड्डू, केसरिया शिराह, पीले रंग के मीठे चावल आदि। इस दिन को मनाते हुए कई जगहों पर लोग पतंग उड़ाना भी पसंद करते हैं।
किन-किन प्रदेशों में दिया जाता है खास महत्व ?
बसंत पंचमी को वैसे तो पूरे देश भर में ही मनाया जाता है, लेकिन भारत के इन हिस्सों में इस त्यौहार को बेहद ख़ास महत्व दिया जाता है।
पंजाब – पंजाब में लोग इस दिन के लिए खासे उत्साहित रहते हैं। हमारे देश में ज़्यादातर किसान पंजाब में ही होते हैं। सरसो की खेती को लेकर पंजाब बहुत मशहूर है। इस दिन को वहाँ के लोग पतंग उड़ा कर मनाते हैं।
पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी को माँ सरस्वती की आराधना करते हुए मनाया जाता है। इस दिन कई स्कूल और कॉलेजों में माँ सरस्वती की विस्तार पूर्वक आराधना की जाती है। पश्चिम बंगाल संगीत और संगीतकारों के लिए भी काफी मशहूर है और चूँकि संगीत की देवी माँ सरस्वती होतीं हैं, इसलिए कई संगीत विद्यालयों में भी माँ सरस्वती की आराधना कर इस दिन को मनाया जाता है।
असम – असम में भी इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं और पीले कपड़े पहन कर, स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं।
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