अल्बर्ट आइंस्टीन की ट्रेवल डायरी में लिखा एक तथ्य उनके नस्ल भेदी न होने के दावे के बारे में भारतीय लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया है क्योकि अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक व्याख्यान में कहा था जो लोग नस्ल भेदी होते है वो मानसिक तौर पर बीमार है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक उनकी ट्रैवल डायरी में इंडियन लोगो के बारे में लिखा था।
इंडियंस बयोलॉजिकली इन्फीरियर (पैदाइशी हीन ) होते है। हालाँकि उन्होंने इसमें भौगोलिक परिस्थितियों को भी इसका कारण बताया है। उन्होंने कहा है कि एशिया सबकॉन्टिनेंट क्लाइमेट की वजह से इंडिया के लोग ज्यादा आगे का नहीं सोच सकते।वो सिर्फ 15 मिनट आगे का ही सोच पते है इससे आगे और पीछे का नहीं सोच पाते।
आइंस्टीन की सोच थी कि अलग अलग जगह के लोगो की सोचने के तरीके में अंतर होता है और उनकी क्षमता में भी अंतर होता है और उन्होंने इंडिया की सोचने की क्षमता पर टिप्पड़ी की। ये बात सभी लोग जानते है की उन्हें घूमने का बहुत शौक था और वे एशिया के देशो की यात्रा पर भी निकले थे जिसमे उन्होंने चीन घुमा और श्रीलंका के लोगो से भी मिले हालाँकि वो इंडिया कभी नहीं आये लेकिन उन्होंने इंडिया के बारे में कुछ धरणा बना ली थी क्योकि उस समय इंडिया में भारत अंग्रेजो का गुलाम था और इंडिया की गरीबी की हालत से वे परिचित थे।
अपनी एशिया यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी ट्रेवल डायरी में चीन और श्रीलंका के बारे में भी लिखा । डायरी में उन्होंने बताया है की चीनी लोग मेहनती तो बहुत होते है लेकिन उनमे दिमाग बहुत कम होता और श्रीलंका के लोगो के बारे में लिखा कि वे लोग बहुत ही गंदगी से रहते है और उनका जीवन स्तर भी बहुत नीचे का होता है ।
लेकिन उन्होंने ने भारतीय लोगो के बारे में ऐसी बात क्यों कही क्योकि उनसे भी पहले हमारे देश में ऐसे विद्वान् पैदा हुए तो जिनकी सोच और नजरिया बहुत आगे तक का था चाहे आर्यभट हो या रामानुजन । अल्बर्ट आइंस्टीन तो गाँधी जी से भी प्रभावित थे और उनकी सोच और विचारो का उन पर गहरा असर पड़ता था और उन्होंने गाँधी जी को लिखे अपने कई पत्रों में गाँधी जी की सोच से प्रभावित होने का वर्णन किया है।
उनका मानना था की भारतीय लोगो के निर्णय लेने और सोचने की क्षमता बहुत कम होती है और जिसमे भविष्य के बारे में कुछ नहीं रहता है वे बस अभी के बारे में सोचते है।
उनका ये स्टेटमेंट न तो पूरी तरह सही है और पूरी तरह से गलत कहने से पहले हम उस पर विचार कर सकते है क्योकि जब भी ऐसा कोई स्टेटमेंट आता है तो हम सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकलना शुरू कर देते है और ये बताने की कोशिश करते है कि आप हमारे बारे में गलत सोच रखते हो। लेकिन ये ही ऐसे मोके होते है जब हम जान पाते है कि दुनिया भर के लोग हमारे बारे में क्या सोच रखते है और सोशल मीडिया पर फैलाए गए विवाद में पड़ने की बजाए व्यक्तिगत स्तर पर इन चीजों के बारे में विचार कर सकते है कि मेहनत करने के बाद भी लोग हमारे बारे में ऐसी धारणा क्यों बनाते है।
ये सेल्फ एनालिसिस करने का बिल्कुल सही समय होता है क्योकि जब व्यक्ति किसी उच्च पद पर होता है तो किस किसी खास कारण और परिस्थितियों की वजह से इस प्रकार के बयान देता है उन्होंने ये बात बहुत पहले कही थी उन्होंने देखा होगा की भारत पर एक , दो या दस नहीं बल्कि 200 साल तक अग्रेजो ने भारत पर राज किया।
कही आज भी तो हम पर भौगोलिक परिस्थियों से ग्रस्त तो नहीं है और कही आज भी ऐसी सोच हमें आगे बढ़ने से तो नहीं रोक रहे हमें बड़े स्तर पर नहीं बल्कि अपने आप के जीवन पर सोचने की जरुरत है की हम अपने जीवन में किस तरह के निर्णय लेते है और किस प्रकार के विचार हम अपने आस – पड़ोस , साफ – सफाई ,देश की आर्थिक और राजनैतिक मुद्दों पर रखते है।
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